प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की शुरुआत से 2025 तक की यात्रा जानें। विशेषताएँ, उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और ‘हर घर पक्का घर’ का लक्ष्य पढ़ें।
भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए पक्का घर नहीं है। इन्हीं लोगों के लिए भारत सरकार ने “प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना” (Pradhan Mantri Gramin Awas Yojana – PMGAY) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य है – हर जरूरतमंद को एक सम्मानजनक और पक्का आवास प्रदान करना।
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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का इतिहास
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की शुरुआत सबसे पहले इंदिरा आवास योजना के रूप में वर्ष 1985 में की गई थी। इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे ग्रामीण परिवारों को पक्के घर मुहैया कराना था। 01अप्रैल 2016 में इस योजना को नया रूप और नाम दिया गया – प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लक्ष्य 2022 तक “सभी के लिए आवास” उपलब्ध कराना था, जिसको 2024 तक विस्तारित किया गया।
आवास योजना का लक्ष्य
आवास योजना का लक्ष्य बेघर परिवारों और जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे परिवारों को 2024 तक पक्के मकान उपलब्ध कराना।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लाभ
- इस योजना के अंतर्गत मैदानी क्षेत्रों में आवास के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये एवं पर्वतीय क्षेत्रों में 1 लाख 30 हजार रुपये मिलते है।
- यदि लाभार्थी चाहे तो उसे 70 हजार रुपये का अतिरिक्त लोन उपलब्ध कराने में मदद।
- योजना का पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में भेजा जाना।
- आवास निर्माण के लिए पहले 20 वर्गमीटर का जगह था जिसको बढाकर 25 वर्गमीटर कर दिया गया जिसमें रसोईघर भी शामिल किया जा सकें।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का वित्तीय प्रबंधन
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत आने वाले लागत का वहन केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। इसमें केंद्र एवं राज्य सरकारों का सहयोग 60:40 के अनुपात में होता है किंतु तीन पर्वतीय राज्यों एवं एवं पूर्वोत्तर राज्यों में यह अनुपात 90:10 का होता है और केंद्रशासित राज्यों के पूरी लागत का वहन केंद्र सरकार अकेले करता है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत लाभार्थियों का निर्धारण
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों के दायरे में बीपीएल सूची के स्थान पर एसईसीसी 2011 के आकड़ो के अनुसार सभी बेघर परिवार, एक या दो कमरों के कच्ची दिवार/कच्ची छत वाले घरों में रहने वाले परिवारों को शामिल किया जायेगा
आवास निर्माण संपन्न एवं किस्त जारी करने की समय सीमा
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत जिस दिन से आवास स्वीकृत हो जाता है उस दिन से लेकर 12 महीने के अन्दर आवास निर्माण कार्य पूरा करा लेना होता है।
आवास के लिए मिलने वाला पैसा लाभार्थी के खातें में तीन किस्तों के रुप में जारी किया जाता है। पहला किस्त आवास स्वीकति के समय जारी किया जाता है।
दूसरा किस्त नींव रखने के पश्चात् एवं तीसरा किस्त लिंटेल/रुफकास्ट के समय जारी किया जाता है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लिए कौन पात्र नहीं है।
- पक्के घरों में रहने वाले परिवार एवं दो से अधिक कमरे वाले घरों में रहने वाले परिवार प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लिए पात्र नहीं होंगे।
- मोटरयुक्त दोपहिया/तीन पहिया/चार पहिया/मछली पकड़ने वाली नाव।
- मशीनी तिपहिया/चौपहिया कृषि उपकरण।
- 50 हजार या इससे अधिक ऋण सीमा वाले किसान क्रेडिट कार्ड।
- वे परिवार जिनका कोई सदस्य सरकारी कर्मचारी हो।
- आयकर देने वाले परिवार।
- व्यवसाय कर देने वाले परिवार।
- वे परिवार जिनके पास 2.5 एकड़ या इससे अधिक सिंचित भूमि हो एवं कम से कम एक सिंचाई उपकरण हो।
आवास योजना के समक्ष चुनौतिया
- भू-अधिकारों की समस्या: कई ग्रामीणों के पास भूमि के वैध दस्तावेज नहीं होते, जिससे उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाता।
- भ्रष्टाचार और देरी: कुछ स्थानों पर स्थानीय स्तर पर रिश्वत और देरी की शिकायतें भी सामने आई हैं।
- तकनीकी साक्षरता की कमी: कई लाभार्थी मोबाइल ऐप या डिजिटल प्रक्रिया को समझ नहीं पाते।
- भौगोलिक कठिनाइयाँ: पर्वतीय और आदिवासी क्षेत्रों में निर्माण कार्य की लागत और समय अधिक लगता है।
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निष्कर्ष
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो केवल आवास प्रदान नहीं करती, बल्कि आत्मसम्मान, सुरक्षा और गरिमा भी प्रदान करती है। यह योजना ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक उत्थान की आधारशिला बन चुकी है।
एक समय था जब ग्रामीण भारत के गरीब खुले आसमान के नीचे या कच्चे घरों में रहने को मजबूर थे, लेकिन आज वे प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के माध्यम से अपने पक्के घरों में आत्मविश्वास और गर्व के साथ जीवन यापन कर रहे हैं।
यह योजना न केवल गरीबी हटाने का एक माध्यम है, बल्कि ‘नया भारत’ के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। जब हर गरीब के सिर पर अपनी छत होगी, तब ही भारत सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर और समावेशी राष्ट्र बन पाएगा।
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